रांची : गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने आज संसद भवन में देवघर डीसी मंजुनाथ भजंत्री को बर्खास्त करने की मांग केंद्र सरकार से की है, साथ ही उन्होंने केंद्र से झारखण्ड में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।
उन्होंने ट्वीट कर बताया की “मेरे उपर चुनाव आचार संहिता का ग़लत इस्तेमाल कर केस करने। चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था के आदेश का अवहेलना करने के लिए झारखंड में राष्ट्रपति शासन व देवघर के वर्तमान उपायुक्त को केन्द्र सरकार के नियम 56 के तहत बर्खास्त करने की माँग केन्द्र सरकार से की। “
सांसद ने लोकसभा में प्रिविलेज (विशेषाधिकार प्रस्ताव ) के दौरान कहा ‘मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट ( अंचार सहिंता ) का केस के कारण वहां के जिलाधिकारी ने मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट का केस चुनाव के छह महीने बाद हमारे ऊपर किया। यह डेमोक्रेसी के लिए कितनी बड़ी समस्या होनेवाली है कि मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट खत्म होने के बाद कोई केस नहीं हो सकता है। अप्रैल में इलेक्शन हो गया लेकिन ये केस अक्टूबर और नवंबर में हुआ। और यदि इसको नहीं रोका गया तो पांच साल के बाद कोई दूसरी सरकार आएगी तो किसी सांसद के ऊपर, किसी भी विधायक के ऊपर मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट का केस होगा। मैंने इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया को कम्प्लेन किया। इलेक्शन कमीशन ने उस जिलाधिकारी को हटाने का आदेश दिया और उनके ऊपर मेजर पेनाल्टी लगाने का उन्होंने आर्डर दिया लेकिन वहां की राज्य सरकार ने इलेक्शन कमीशन के आर्डर को मानने को तैयार नहीं है। मेरा आपसे आग्रह है की झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाइये और नियम 56 के तहत डीओपीटी को उस अधिकारी को साइड करना चाहिए।
मालूम हो की इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया ( चुनाव आयोग ) ने झारखण्ड के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर देवघर उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री को DC के पद से हटाने का आदेश दिया था और 15 दिनों के अंदर आरोप पत्र गठित करते हुए डीसी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया है। चुनाव आयोग ने यह भी कहा था की बिना उसके अनुमति के श्री भजयंत्री को भविष्य में चुनाव से संबंधित किसी तरह के कार्य में नहीं लगाया जायेगा।
गोड्डा के सांसद डॉ निशिकांत दूबे पर एक ही दिन में पांच थानों में FIR दर्ज कराने के मामले में चुनाव आयोग ने मंजूनाथ भजंत्री को दोषी मानते हुए उनसे पूछा था कि आदर्श आचार संहिता उल्लंघन मामले में गोड्डा सांसद पर 6 महीने की देरी से क्यों FIR दर्ज कराया गया।
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