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हलचल : भाजपा सांसद का संकेत, हेमंत सरकार का अगस्त पार होना मुश्किल

रांची : भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने एक ट्वीट के जवाब में कहा है “सौ सुनार की एक लोहार की । मुख्यमंत्री जी अगस्त पार कर लें”

दरअसल एक दिन सुप्रीम कोर्ट ने शेल कंपनियों के झारखण्ड हाईकोर्ट में सुनवाई के मामले में रोक लगायी थी। जिसे लेकर एक झामुमो कार्यकर्त्ता ने निशिकांत दुबे को टैग ट्वीट किया “हमारे मुंगेरीलाल निशिकांत दुबे जी कुछ सुने की नहीं की माननीय सुप्रीम कोर्ट क्या कह रहे हैं। ख्याली पुलाव की दुनिया से बाहर आइए और माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी के बारे मे क्या कहा गया उसे जानिए और सीधा बाबूलाल मरांडी जी के साथ हरिद्वार निकल लीजिए। शायद कुछ पाप धुल जाए।” इसके जवाब में निशिकांत दुबे ने ट्वीट किया “सौ सुनार की एक लोहार की ।मुख्यमंत्री जी अगस्त पार कर लें”
निशिकांत दुबे के इस ट्वीट से ऐसा लगता हैं मानो हेमंत सोरेन के लिए अगस्त का महीना बहुत आने वाले दिनों में मुश्किलें खड़ी करने वाला है। निशिकांत दुबे के ट्वीट को गौर किया जाये तो उसमें दावा भी दिखता है की झारखण्ड में हेमंत सरकार में कुछ हलचल तो होने ही वाला है और शायद वो हलचल के बारे में दुबे जी को सबकुछ पहले से पता हो।

इधर गुरुवार 18 दिसंबर को ही हेमंत सोरेन के खनन मामले में चुनाव आयोग में सुनवाई पूरी हुई है और चुनाव आयोग हेमंत सोरेन के खनन मामले में 24 अगस्त तक अपना फैसला सुना सकता है।

इसके अलावा कांग्रेस के तीन विधायक सरकार गिराने के आरोप में कैस के साथ पकडे गए हैं। ये दोनों घटनाएं भी हेमंत सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता। मुख्यमंत्री ने विधायकों को झारखण्ड में ही रहने हो कहा है। कांग्रेस ने भी अपने विधायकों को झारखण्ड में रहने को कहा है।

विधायकों को झारखण्ड में रोके रखे जाने पर निशिकांत दुबे ने ट्वीट किया “झारखंड मुक्ति मोर्चा औरो कॉंग्रेस दिल्ली- रॉंची क्यों दौड़ रहा है रे भाई । हम बोले बरहेट,दुमका विधानसभा में उपचुनाव होगा तो हमको कांके भेज रहे थे?अब तो विधानसभा अध्यक्ष को कनाडा जाने से रोक दिए? इस्तीफ़े विकल्प है,दैइए दीजिए”

दुबे जी के इस ट्वीट से इतना तो पक्का लग रहा है की चुनाव आयोग खनन मामले में बरहेट से विधायक हेमंत सोरेन के खिलाफ में फैसला आ सकता है और उनकी विधायिकी जा सकती है। यानि उनसे मुख्यमंत्री की कुर्सी भी जा सकती है। साथ ही उनके भाई बसंत सोरेन जो दुमका से विधायक हैं उनकी भी विधानसभा की सदस्यता जा सकती है लेकिन झामुमो की गठबंधन की सरकार नहीं गिरेगी।

खैर झारखण्ड की राजनीति में क्या खेला होने वाला है इसके लिए अगस्त के अगले 12 दिनों का इंतज़ार करना होगा।

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