Johar Ranchi

Ranchi and Jharkhand update

झारखण्ड में महाराष्ट्र कांड का डर, विधायकों को बसों से भेजा जा रहा छत्तीसगढ़

फोटो : यूपीए गंठबंधन के विधायक तीन बसों में बैठाकर सीएम आवास से छतीसगढ़ के लिए रवाना हुए।

रांची : झारखंड में सियासी भूचाल आ गया है। झारखण्ड में महाराष्ट्र जैसा ऑपरेशन लॉट्स काण्ड ना हो इसके लिए यूपीए महागंठबंधन के विधायकों तीन बसों में बैठाकर सीएम आवास से छतीसगढ़ के लिए भेजा गया है।

ओपरेशन लॉटस चलाने के आशंका

लाभ के पद मामलें में राज्यपाल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्य रद्द कर दी है। इस मामले में आज कभी भी चुनाव आयोग अधिसूचना जारी का इसकी जानकारी दे सकता है। अधिसूचना जारी होने के साथ गठबंधन सरकार खतरे में पड़ जाएगी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस्तीफा देना पड़ेगा।

इसी बीच झारखण्ड में भाजपा द्वारा ओपरेशन लॉटस चलाने के आशंका से गठबंधन की सरकार संकट में पड़ सकती है। ओपरेशन लॉटस और चुनाव आयोग के अधिसूचना को लेकर आज भी मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गठबंधन के विधायकों के साथ बैठक की और राजनीतिक संकट पर चर्चा की। बैठक में कई विधायक अपना बैग लेकर आये हैं। खबर हैं की झारखण्ड में महाराष्ट्र जैसा काण्ड ना हो इसलिए गठबंधन के विधायकों को छत्तीसगढ़ भेजा जा रहा है। गठबंधन के विधायकों को कांग्रेस शासित राज्य में भेजा जा रहा है। विधायकों को छत्तीसगढ़ शिफ्ट करने के लिए सीएम हॉउस में लग्जरी बसें मंगवाई गयी थी।

लेकिन कितने विधायक मीटिंग में पहुंचे हैं इसकी जानकारी नहीं है। इधर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने ट्वीट कर कहा है की “हाथ पॉंव मारने के बाद भी केवल 33 विधायक झारखंड के राँची में सरकारी जमा हो पाया,झामुमो देर करता नहीं देर हो जाती है” भाजपा सांसद के अनुसार 33 विधायक ही रांची में जमा हो पाए है।

महागठबंधन में लगभग 50 विधायक है जिनमें झामुमो के 30 , कांग्रेस के 18 और राजद और माले से एक एक विधायक हैं। वहीँ भाजपा गठबंधन में 26 भाजपा, 2 आजसू, 2 निर्दलीय और एक एनसीपी के विधायक हैं।

सरकार बनाने के लिए झारखण्ड में बहुमत के लिए 42 विधायकों की जरूरत है।
मुख्यमंत्री की विधायकी जाती है तो भी विधायक दल के नेता चुने जा सकते हैं और सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं और पुनः मुख्यमंत्री बन सकते हैं लेकिन उन्हें दोबारा 6 महीने के अंदर चुनाव जितना पड़ेगा।

निशिकांत दुबे ने कहा है की “झारखंड के किसी विधानसभा में 6 महीने के अंदर चुनाव संभव नहीं है, क्योंकि 5 जनवरी तक चुनाव आयोग वोटर लिस्ट रिवीज़न कर रहा है। झारखंड विशेष संवैधानिक संकट की ओर बढ़ रहा है।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *