माइग्रेशन पर विशेष नीति बना,मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने Safe and Responsible Migration Initiative (SRMI) का शुभारम्भ किया
रांची : राज्य सरकार का प्रयास है कि झारखंड से जो भी श्रमिक भाई एवं अन्य लोग रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य अथवा देशों में जाते हैं, उनका हम पूरा डाटा बेस तैयार कर सके और नीति के तहत उन्हें विपत्ति के समय मदद पहुंचा सकें। कोरोना संक्रमण काल में झारखंड के लिए माइग्रेशन बहुत बड़ा और बहुत ही चिंतनीय विषय महसूस हुआ है। वैश्विक संक्रमण ने कई चीजों पर हमें विचार करने के लिए बाध्य किया है। महामारी के समय कुछ अच्छी चीजें और कुछ बुरी चीजों को दृष्टिगत रखते हुए पलायन से संबंधित विशेष नीति बनाने की जरूरत महसूस हुई। महामारी ने कई पहलुओं पर सोच-विचार करने के रास्ते खोले हैं। उक्त बातें मुख्यमंत्री ने आज झारखंड मंत्रालय स्थित सभागार में आयोजित Safe and Responsible Migration Initiative (SRMI) के शुभारम्भ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कभी-कभी प्रवासी श्रमिक भाइयों की मृत्यु से संबंधित अप्रिय खबरें भी आती हैं। अगर दुर्भाग्यवश किसी प्रवासी श्रमिक की मृत्यु होती है तो राज्य सरकार उनके दिवंगत शरीर को वापस उनके घर लाने की व्यवस्था करेगी तथा अंत्येष्टि का पूरा खर्चा राज्य सरकार ही वहन करेगी। इसके लिए सभी जिलों में कॉरपस फंड की व्यवस्था की जा रही है।
श्रमिकों के संरक्षण के लिए ई-श्रम पोर्टल कारगर
मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि राज्य के प्रवासी मजदूरों को संरक्षित करने के लिए सरकार द्वारा ई-श्रम पोर्टल बनाया गया है। इस पोर्टल के तहत प्रवासी श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है ताकि विपत्ति के समय राज्य सरकार उन्हें तत्काल मदद पहुंचा सके। मुख्यमंत्री ने राज्य के प्रवासी श्रमिक भाइयों से अपील किया कि इस पोर्टल में वे अपना रजिस्ट्रेशन अवश्य कराएं। वैसे प्रवासी श्रमिक जो दूसरे देशों में काम करते हैं उन्हें कैसे संरक्षित कर सके इस निमित्त केंद्र एवं राज्य सरकार के बीच समन्वय स्थापित करने की भी आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे तो राज्य सरकार द्वारा कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चलायी जा रही है जिससे यहां के श्रमिकों को उनके घर आसपास में ही रोजगार उपलब्ध कराया जा सके।
प्रवासी श्रमिकों को किस प्रकार मिलेगा सहायता
वर्तमान में Safe and Responsible Migration Initiative (SRMI) पायलट प्रोजेक्ट के तहत दुमका, पश्चिमी सिंहभूम तथा गुमला के श्रमिकों के पलायन को ध्यान में रखकर नीति बनाई गई है। इन तीन जिलों से दिल्ली, केरल और लेह-लद्दाख इत्यादि जगहों में रोजगार के लिए गए प्रवासी श्रमिकों का डाटाबेस तैयार किया जा रहा है। इन सभी राज्यों से समन्वय स्थापित कर प्रवासी श्रमिकों के सामाजिक, आर्थिक और कानूनी हक सुनिश्चित किए जाएंगे। प्रवासी श्रमिकों का किसी भी प्रकार से शोषण न हो सके इस निमित्त नियम बनाई गई है। शुरुआती दौर में इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद व्यवस्था के दायरे को और बड़ा बनाया जा सकेगा।












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