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झारखंड के कलाकारों का कोई सम्मान नहीं !

Ranchi : झारखंड के कला संस्कृति और विशेषकर यहां के भाषाओं को भारत के कोने कोने में अपने डांस के माध्यम से पहुंचाने वाले, हम सबके चहेते बंटी उर्फ गुरमीत सिंह नहीं रहे. हरमू के मुक्तिधाम में आज जो पंचतत्व में विलीन हो गए.

उनके निधन से पूरा झारखंड के संगीत प्रेमी, नृत्य प्रेमी और बॉलीवुड से जुड़े सभी लोग स्तब्ध हैं और दुखी हैं.

लेकिन दुख इस बात का है कि झारखंड के कलाकारों को कोई सम्मान नहीं है और ना ही उनका कोई मोल है. आखिर क्यों ? आज बंटी सिंह के निधन के बाद कोई भी नेता या मंत्री उनको श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंचा. और ना ही सोशल मीडिया के जरिए दुख व्यक्त किया.

हां अगर वही कोई बॉलीवुड स्टार होता तो सभी सोशल मीडिया में आंसुओं का बाढ़ ले आते.

सिल्ली के पूर्व विधायक युवा अमित महतो भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए

हां लेकिन झामुमो की एक नेत्री महुआ माजी जी ने बंटी सिंह के घर पहुंच कर नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की.
सिल्ली के पूर्व विधायक युवा अमित महतो भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे. सीमा महतो ने भी ट्वीट कर दुख व्यक्त किया था.उसके अलावा ना ही कोई मंत्री पहुंचा ना ही कोई नेता.

श्रीमती महुआ माजी नम आंखों से झारखंड के सुपरस्टार बंटी सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए

ट्विटर पर शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो, सुदेश महतो का शोक संदेश दोपहर में दिखा उसके अलावा 2-4 और नेताओं ने सोशल मीडिया में शोक व्यक्त किया वह भी शाम 7:00 बजे के बाद.

जबकि उनके फैंस सुबह से ही दुख के सागर में डूबे हैं. बंटी सिंह का अंतिम दर्शन करने के लिए झारखंड के विभिन्न जिलों से लोग विशेषकर उनके फैन पहुंचे थे. कोई लातेहार से तो कोई धनबाद से कोई गुमला से तो कोई गढ़वा से. लेकिन रांची से कोई नेता नहीं पहुंच पाए.

एक बात और यह भी है कि बॉलीवुड के कलाकार यह प्रोड्यूसर झारखंड फिल्म बनाने आते हैं तो उन पर सरकार मेहरबान हो जाती हैं लाखों रुपए सब्सिडी देती है लेकिन झारखंड के कलाकार किस तरह जीते हैं किस तरह की परेशानियों का सामना करते हैं उनके बारे में शायद ही कभी सोचती है?

झारखंड के कलाकारों के बारे में यहां के सरकार को सोचना जरूरी है. क्योंकि यही कलाकार है जो झारखंड के संस्कृति को, कला को, भाषा को विश्व पटल तक पहुंचाते हैं.

अगर हम कलाकारों का सम्मान नहीं करेंगे तो अपने संस्कृति ,भाषा को लुप्त होने से नहीं बचा पाएंगे.

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