रांची : पूर्व की झारखण्ड की रघुवर सरकार के द्वारा बनायीं गयी नियोजन नीति को सुप्रीम कोर्ट ने भी असवैंधानिक बताया है। रघुवर दास के कार्यकाल में बनी 2016 के नियोजन नीति के तहत झारखंड में हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी जिसे झारखण्ड हाई कोर्ट ने असवैंधानिक ठहराते हुए रद्द कर दिया था।
रघुवर दास के कार्यकाल में 2016 बने संकल्प और 2018 के संसोधित संकल्प को कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में निरस्त कर दिया था। उस संकल्प के अनुसार 13 अनुसूचित जिलों में जिलास्तरीय पदों की नियुक्ति में सम्बंधित जिले के स्थानीय को नियुक्त करने का प्रावधान था। संबंधित जिलों के विभिन्न विभागों के जिला संवर्ग के तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों पर स्थानीय ही नियुक्ति के लिए पात्र होंगे। इस प्रावधान को 10 वर्ष के लिए रखा गया था। साहेबगंज, पाकुड़, दुमका, जामताड़ा, लातेहार, रांची, खूंटी, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला को 13 अनुसूचित जिलों में शामिल किया गया था। वहीं गैर अनुसूचित जिले में बाहरी अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की छूट दी गयी थी।
इस नीति के आलोक में वर्ष 2016 में अनुसूचित जिलों में 8,423 व गैर अनुसूचित जिलों में 9149 पदों पर (कुल 17572 शिक्षक) नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हुई थी जो हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्रभावित हुई थी। झारखंड हाई कोर्ट ने उसे रद्द कर नए सिरे से नियुक्ति करने का आदेश दिया था ।खूंटी के शिक्षक सत्यजीत कुमार एवं अन्य की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर झारखंड हाईकोर्ट के 21 सितंबर 2020 के इसी फैसले को चुनौती दी गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने झारखण्ड हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया ।
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