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नहीं बनी खतियान आधारित नियोजन एवं स्थानीय नीति, झामुमो के पूर्व विधायक अमित महतो ने दिया इस्तीफा

रांची : सिल्ली से झामुमो के पूर्व विधायक अमित महतो ने झामुमो से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने पिछले महीने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक महीने का समय देते हुए मांग किया था कि खतियान आधारित स्थानीय एवं नियोजन नीति बनाई जाए. साथ ही बाहरी भाषाओं को क्षेत्रीय भाषाओं से हटाने की भी मांग की थी. इन मांगों के पूरी नहीं होने पर अमित महतो ने रात में 20 फरवरी के शुरू होते ही सोशल मीडिया के माध्यम से 4 पन्नों का इस्तीफा पत्र झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन को सौंपा. उन्होंने पत्र के जरिए हेमंत सोरेन सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.

उन्होंने अपने 4 पन्नों के इस्तीफा में कहा है की ” मैं 2014 में सिल्ली से विधायक के रुप में चुनकर झारखंडी हितों की रक्षा के लिए सदन पहुंचा.”

सरकार पर लगाया प्रवासी तुष्टीकरण का आरोप

उन्होंने पत्र में कहा “राज्य गठन का उद्देश्य है झारखंडीयों को संवैधानिक रूप से संरक्षित करते हुए मौलिक अधिकारों को जनमानस के बीच स्थापित करना एवं परंपरा, सामाजिक संरचना, संस्कृति, परंपरिक व्यवस्था, लोकगीत, पर्व त्यौहार आदि के साथ-साथ भाषाई अतिक्रमण से बचाव कर विलुप्त होते जनजातीय क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहित कर पुनर्स्थापित करना था. किसी भी राज्य की मूल भाषा वहां के रैयतों के द्वारा बोली जाने वाली मातृभाषा होती है. झारखंड में झारखंड के बाहर की भाषा भोजपुरी,मगही,अंगिका उर्दू, बांग्ला, उड़िया को क्षेत्रीय भाषा के रूप में संवैधानिक दर्जा देने के फलस्वरूप यहां के रैयतों तो की मातृभाषा विलुप्त एवं हशीए पर पर जाना शत प्रतिशत तय हो गया है, इस नियमावली के आधार पर प्रवासियों को झारखंड में तुष्टीकरण के तहत आमंत्रित कर तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय नौकरियों में प्राथमिकता के साथ अवसर देकर प्रोत्साहित करना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है.”

आज के समय में झारखंड में झारखंडीयों का स्थान के साथ सर्वांगीण विकास अवरुद्ध हो गया है क्योंकि भाषाई अतिक्रमण को प्रोत्साहित कर नियोजन नीति में प्रदेश के अभ्यर्थियों के लिए तुष्टीकरण के तहत झारखंड राज्य में किसी भी तिथि में आकर 10वीं एवं 12वीं उत्तीर्ण करने वालों के लिए द्वार खोलने से मूल रैयत झारखंडीयों के भावना के विपरीत हक अधिकार से वंचित होना सुनिश्चित हो चुका है.


उन्होंने कहा” 2019 में झामुमो के नेतृत्व में सरकार गठन के बाद मुझे उम्मीद थी कि पार्टी प्रतिज्ञा पत्र के अनुरूप खतियान आधारित नियोजन नीति लागू होगा जिससे झारखंड के मेधावी और होनहार युवाओं को अपने ही माटी में रहकर झारखंड गढ़ने का अवसर प्राप्त होगा परंतु बगैर स्थानीय नीति तय किए झारखंड से दसवीं बारहवीं उत्तीर्ण किए अभ्यार्थियों को तृतीय एवं चतुर्थ पदों पर अवसर देकर पूरे देश के विद्यार्थियों को प्रवासी तुष्टिकरण के तहत झारखंड में समाहित करने वाले नीति से योग्य झारखंडीओ के हकमारी से आहत हूं”

हेमंत सोरेन सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

उन्होंने कहा कि सरकार झारखंड विरोधी फैसले ले रही है. बगैर स्थानीय नियोजन नीति के झारखंड में 75% निजी क्षेत्र में आरक्षण का कानून बनाया गया है. राज्य के महत्वपूर्ण पदों, निगमों, खेल संघों और आयोग में गैर झारखंड यू को स्थापित किया जा रहा है जबकि झारखंडी भाई और बहनों में विद्वत्ता औरतों की कमी नहीं है. यह झारखंड राज्य के आंदोलनकारियों के सपनों पर कुठाराघात है.

वर्तमान सरकार द्वारा मूलवासियों की भूमि लूटने के लिए लैंड पूल कानून बनाया गया है जो झारखंड यू का रक्षा कवच सीएनपीटी एसपीटी एक्ट को तार तार करने वाला कानून है.

पूर्व विधायक सीमा महतो ने भी झामुमो से इस्तीफा दे दिया है.

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